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Ram Temple Anniversary: राम मंदिर जयंती: जब रामलला स्वयं अयोध्या की सड़कों पर आए, जिसने देखा वह धन्य हो गया!

Ram Temple Anniversary: अयोध्या की सड़कों पर रामलला का रूप धारण किए 9 साल की वेदिका जायसवाल ने भक्तों को आश्चर्यचकित कर दिया। महाराष्ट्र की रहने वाली वेदिका ने रामलला की पोशाक पहनकर ऐसा प्रभाव डाला कि लोग श्रद्धा में झुक गए। छोटी रामलला के रूप में वेदिका ने न केवल भक्तों का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि “जय श्री राम” के नारों से माहौल को पूरी तरह धार्मिक बना दिया।
लोगों ने रामलला के रूप में वेदिका को folded hands (हाथ जोड़े) देखा और जयकारे लगाते हुए भगवान का आशीर्वाद लिया।

भारतीय संस्कृति से जुड़ने का संदेश

वेदिका की मां ने बताया कि उनका उद्देश्य बढ़ते अंग्रेजी माध्यम और आधुनिकता के प्रभाव के बीच भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना है।
वेदिका का यह रूप बच्चों को अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का एक मजबूत संदेश देता है। रामलला के रूप में वेदिका ने न केवल श्रद्धालुओं को मोहित किया, बल्कि सभी को यह प्रेरणा दी कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना कितना महत्वपूर्ण है।

अयोध्या में राम मंदिर की पहली वर्षगांठ का भव्य उत्सव

इस दौरान अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की स्थापना की पहली वर्षगांठ भी मनाई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन किया था। इस वर्ष 11 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी के दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वार्षिक वर्षगांठ भव्य रूप से मनाई गई।
तीन दिवसीय इस समारोह में रामलीला का मंचन, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस उत्सव का उद्घाटन किया और श्रद्धालुओं को संबोधित किया।

धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उत्साह

इस समय अयोध्या में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का जोर है। साधु-संतों के दल भजन गाते हुए नगर में भ्रमण कर रहे हैं। भक्तों का जोश और उत्साह देखते ही बनता है।
रामलला के मंदिर में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम के दौरान संत समुदाय और श्रद्धालुओं ने मिलकर जयकारे लगाए, जिससे पूरा वातावरण भक्ति से भर गया। यह दृश्य आस्था और एकता का प्रतीक था।

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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का महत्व

भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।
11 जनवरी को आयोजित इस वर्षगांठ में पूरे देश के श्रद्धालु शामिल हुए। अयोध्या का यह उत्सव केवल अयोध्या तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देश-विदेश में बसे हिंदुओं के लिए भी यह गर्व और आनंद का अवसर बना।

रामलला के स्वरूप ने दिया बच्चों के लिए प्रेरणादायक संदेश

वेदिका जायसवाल के रामलला के रूप में आने ने इस अवसर को और भी विशेष बना दिया।
यह दिखाता है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक करना कितना जरूरी है। आज के बच्चों के लिए यह एक प्रेरणा है कि वे आधुनिकता और तकनीक के युग में भी अपनी जड़ों से जुड़े रहें।

सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

अयोध्या का यह उत्सव न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को भी दर्शाता है। राम मंदिर के कार्यक्रम में अलग-अलग प्रांतों से आए भक्तों और संतों ने भाग लिया। इसने यह संदेश दिया कि भगवान राम के प्रति श्रद्धा पूरे भारत को एकजुट करती है।

रामलीला और भजन-कीर्तन ने बढ़ाई उत्सव की शोभा

तीन दिवसीय इस समारोह में रामलीला का मंचन और भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसने भक्तों को भावविभोर कर दिया।
रामलीला के विभिन्न दृश्यों ने भगवान राम के आदर्शों और उनके जीवन के संदेशों को जन-जन तक पहुँचाया। भजन-कीर्तन ने श्रद्धालुओं को भगवान की भक्ति में डुबो दिया।

अयोध्या का माहौल पूर्णतः भक्तिमय

रामलला की वर्षगांठ के इस अवसर पर अयोध्या पूरी तरह भक्तिमय नजर आई। हर गली और सड़क पर भक्ति का माहौल था।
श्रद्धालु मंदिर में भगवान राम के दर्शन करने के लिए लंबी कतारों में खड़े थे। जयकारों और भक्ति गीतों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया।

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आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक गौरव का उत्सव

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ भारत की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक गौरव का उत्सव है।
इसने यह साबित किया कि भारतीय समाज में धर्म और संस्कृति का स्थान कितना महत्वपूर्ण है। यह अवसर केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपरा का गौरव है।

राम मंदिर की वर्षगांठ और वेदिका जायसवाल के रामलला रूप ने इस कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया।
इसने भक्तों को यह प्रेरणा दी कि भगवान राम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएँ और अपनी संस्कृति पर गर्व करें। अयोध्या का यह उत्सव भारतीय संस्कृति और धर्म का वह दीप है, जो पूरे विश्व में प्रकाश फैलाता है।

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